भोपाल – जब हम किसी सार्वजनिक शौचालय के करीब से गुजरते हैं तो अनायास ही नाक पर रूमाल रख लेते हैं। सोचिये यदि किसी को यहीं रहना हो तो हालत क्या होगी? शहर के ऐसे ही एक सार्वजनिक शौचालय में 10 साल रही जूही झा ने विकटताओं को हराते हुए देश के लिये खो-खो में अंतराष्ट्रीय पदक जीता।
जूही को भोपाल में ओलिंपिक पदक विजेता सुशील कुमार और खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने 2017-18 के लिए मध्य प्रदेश के सबसे ऊंचे खेल सम्मान, विक्रम अवॉर्ड से नवाजा। विकम्र अवॉर्ड पाना जूही के लिए बहुत बड़ी खुशी की बात थी।
मूलरूप से इंदौर निवासी जूही को जब विक्रम अवॉर्ड से नवाजा गया था तब जूही ने कहा था , कि ‘मेरा परिवार चाहता है कि परिवार में किसी के पास नौकरी हो क्योंकि मेरे पिता के पास भी काम नहीं है। मध्य प्रदेश सरकार विक्रम अवॉर्ड जीतने वालों को सरकारी नौकरी देती है, मैं उम्मीद कर रही हूं कि मेरे साथ भी वही किया जाएगा।’ मगर जूही का संघर्ष यहीं खत्म नहीं हुआ। विक्रम पुरस्कार मिलने के बाद तीन साल सरकारी नौकरी के लिये प्रयास करना पड़ा। मगर खिलाड़ी का जज्बा था कि हार नहीं मानी। आखिकार अब जाकर संघर्ष खत्म हुआ और भोपाल में जूही सहित दो साल पहले विक्रम पुरस्कार पाने वाले खिलाड़ियों को विभागों के बंटवारे लॉटरी पद्धति से हुए।
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