दमोह : मंगलवार की दोपहर ईसाई मिशनरियों के प्रतिष्ठानों में काम करने वाले गैर ईसाई लोगों ने केंद्रीयमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के निवास, पुलिस अधीक्षक कार्यालय और कलेक्ट्रेट पहुंचकर एक एक ज्ञापन सौंपकर केंद्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा धर्मांतरण, मानव तस्करी के मामले में आरोपी बनाए गए दमोह के लाल परिवार सहित 10 लोगों को निर्दोष बताया और मामले की जांच करने की मांग की गई।
Read also: हाई प्रोफाइल धर्मांतरण मामला :आरोपियों के बचाव में प्रशासन, हिंदू संगठन का आरोप
जिसके बाद हिंदू संगठन (Hindu organization) के अनेक लोग मानस भवन में एकत्रित हुए और लाल के दलालों की अर्थी निकाली जिसका अंबेडकर चौक पर अंतिम संस्कार किया और शोकसभा कर दलालों के लिए मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। इस मौके पर हिंदू संगठन के लोगों ने कहा कि मिशनरियों द्वारा दबाव बनाकर गैर ईसाई धर्म के लोगों से जबरन ज्ञापन दिलाया जा रहा है और सामाजिक सौहार्द (social harmony) बिगाडने की कोशिश की जा रही है। साथ ही उन्होंने जिला प्रशासन के ढुलमुल रवैए का विरोध की जताया और कहा प्रशासन लगातार आरोपियों का सहयोग बना हुआ है जिस कारण अभी तक न किसी की गिरफ्तारी हुई न किसी के पासपोर्ट जब्त किए गए। उनका कहना हैं यह अंतिम संस्कार उन प्रशासनिक अधिकारी और उन हिंदुओ का है जिनकी आत्मा मर चुकी है और ईसाई मिशनरियों की दलाली करने में लगे हैं।
Read also: भू–माफिया का सम्मान करने में प्रशासन व्यस्त, अतिक्रमण पर कार्रवाई करने नही है समय–हिंदू संगठन
दरअसल बीते दिनों राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो दमोह पहुंचे और कुछ बाल भवन/ बाल सुधार गृह का औचक निरीक्षण किया जहां उन्हें दिव्यांग बच्चों के लिए ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित हो रहे छात्रावास में बच्चों को संस्था द्वारा क्रिश्चियन धार्मिक की शिक्षा देने और ईसाई धर्म का नाम दिए जाने के सबूत मिले थे। जिसके संबंध में वह दमोह देहात थाना पहुंचकर ईसाई मिशनरियों के 10 प्रमुख लोगों पर मानव तस्करी, धार्मिक स्वतंत्रता, बाल अपराध जैसी अनेक गैर जमानती धाराओं में FIR दर्ज कराई है। इस दौरान उन्होंने दमोह प्रशासन द्वारा सहयोग न मिलने की बात भी कही थी।
हालांकि इस मामले में आरोपियों ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत लेने की अर्जी लगाई है। तो वही पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा आरोपियों के पक्ष में बयान दिए जाने की जानकारी भी प्राप्त हुई है। जिसके बाद लगातार पुलिस और जिला प्रशासन पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो और कानूनी अधिकार वेधशाला (Legal Rights Observatory) द्वारा गंभीर आरोप लगाए जा रहे यहां तक की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दमोह पुलिस अधीक्षक की भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की उपाधि वापिस लेने की गुजारिश की गई।