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स्वास्थ्य केंद्र में समय पर नहीं मिलते डॉक्टर और कर्मचारी-परेशान होते रहते हैं मरीज

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अफसरों की लापरवाही संसाधनों की कमी से जूझ रहा तेन्दूखेड़ा का स्वास्थ्य विभाग जहाँ मुख्यालय पर भी नहीं ठहरते कर्मचारी सुबह के समय सन्नाटा पसरा रहता है, जिले के तेन्दूखेड़ा स्वास्थ्य केंद्र का मामला यहां पर पदस्थ कर्मचारी समझते हैं अपने आप को अधिकारी और बाबू जहाँ के डॉक्टरों के सरंक्षण में चल रही है इन कर्मचारियों की मनमानी

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स्वास्थ्य केंद्र में खाली पड़ी कुर्सियां

विशाल रजक निष्पक्ष समाचार 

तेन्दूखेड़ा :- जहां एक और सरकार करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा कर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराए जाने के लिए कटिबद्ध है वहीं दमोह जिले के तेन्दूखेड़ा स्वास्थ्य केंद्र में तैनात चिकित्सक व कर्मचारी शासन की मंशा पर पानी फेरने में तुले है. जानकारों का कहना है कि तेन्दूखेड़ा के स्वास्थ्य केंद्र में उदासीनता के चलते स्वास्थ्य सेवाएं लचर हो चुकी है यहां पर खुद अस्पताल बीमार नजर आ रहा है. नर्सों एवं कुछ स्टाफ की बदौलत किसी तरह यहां पर इलाज के नाम पर मरहम पट्टी का कार्य किया जा रहा है पदस्थ स्टाफ में अधिकाशं अधिकारी कर्मचारी मुख्यालय पर निवासरत नहीं है जिनके समय बेसमय अस्पताल पहुंचने के कारण स्वास्थ्य सेवाएं और भी ज्यादा लचर हो चुकी है, जबकि पहले से ही स्टाफ की कमी का रोना रहता है और अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है.

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स्वास्थ्य केंद्र के खाली कक्ष
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स्वास्थ्य केंद्र के खाली कक्ष

 

यहां पर 40 से 55 कर्मचारी पदस्थ है, लेकिन ड्यूटी के समय एक भी मौजूद नहीं रहता, न तो इनके आने का कोई समय निश्रित है ना जाने का, गुरुवार सुबह भी इसी तरह का आलम देखने को मिला जब 10 बजे तक एक भी कर्मचारी स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद नहीं था सिर्फ दो लोग ही मौजूद थे, जिसमें एक कर्मचारी पर्ची बना रहा था और दूसरा भी कुछ काम करते हुए दिखाई दिया.

कर्मचारियों का समय निश्रित नहीं :- सूत्रों की माने तो तेन्दूखेड़ा क्षेत्र में अधिकारियों से उदासीनता का ही परिणाम है कि यहां पर कार्यरत स्टाफ बेलगाम हो गया है, और बाबू गिरी करते रहते हैं. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इन दिनों अस्पताल का संचालन स्टाफ अपनी मनमर्जी से कर रहा है कुछ कर्मचारियों को छोड़ दिया जाए तो बाकी स्टाफ के आने जाने का कोई समय निश्रित नहीं है. वहीं अस्पताल की दीवारों पर अभी तक किसी भी डॉक्टर और कर्मचारी का समय और काम निर्धारित समय नहीं लिखा हुआ है किन्तु उस समय पर महज कुछ कर्मचारी ही अस्पताल पहुंचते हैं और उन्हीं के भरोसे अस्पताल का संचालन किया जा रहा है.

नियंत्रण से बाहर कर्मचारी :- यू तो डॉक्टरों की कमी से तेन्दूखेड़ा अस्पताल कई वर्षों से जूझ रहा है, जबकि एक समय था जब यहां पर 4-4 डॉक्टर पदस्थ थे, किन्तु आज किसी तरह सीबीएमओ अपनी सेवाएं दे रहे हैं उनके जाते ही यहां स्टाफ मनमर्जी से अपना कार्य करता है यहां पर कौन कर्मचारी कब आता है कब चला जाता है और किस का कौन सा कार्य और काम है आज तक किसी को अतापता नहीं रहता है. कोई भी निश्र्चित नहीं है सीबीएमओ की गैरमौजूदगी के चलते कर्मचारी बेलगाम हो गए हैं.

ओपीडी तक जाने के लिए साधन नहीं :- वहीं कुछ और शारीरिक रुप से अक्षम लोगों के लिए मुख्य द्वार से ओपीडी तक ले जाने के लिए भी कोई भी व्यवस्था यहां नहीं रखी गई है इसका चलते संबंधित मरीज को उसके परिजनों द्वारा ही उसे अपने हाथों से लेकर जाना होता है.

दो चार को छोड़ बाकी रहते हैं अपने घरों में :- तेन्दूखेड़ा स्वास्थ्य केंद्र में हमेशा अनियमिताएं बनी रहती है अस्पताल में कहने को तो 40 से 50 कर्मचारी पदस्थ है लेकिन ड्यूटी के दौरान दो चार  कर्मचारी ही मिलते हैं शेष सभी कर्मचारी मनमाने तरीके से आते जाते हैं जिन पर लगाम लगाने वाला कोई नहीं है.

मुख्यालय पर नहीं ठहरते कर्मचारी दमोह जबलपुर से करते हैं अपडाउन :- स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ अधिकांश अधिकारी और कर्मचारी अपने मुख्यालय पर निवास नहीं करते हैं वो हमेशा दमोह जबलपुर से अपडाउन की स्थिति बनाए हुए हैं इसके चलते आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कर्मचारियों को 11 बजे से 12 बजे के बीच कई बार स्थानीय लोगों ने बसों में अप डाउन करते हुए देखा है. जिला प्रशासन से अप डाउन करने वाले कर्मचारियों को मुख्यालय पर अपना निवास बनाए जाने के निर्देश देने की मांग की है जिससे स्वास्थ्य विभाग की चिंताजनक हालत में सुधार हो सके.

इनका कहना :- जब इस संबंध में तेन्दूखेड़ा सीबीएमओ बीपी अहिरवार से बात की गई तो उन्होंने पहले तो कहा कि डॉक्टर तो रहते हैं मौजूद फिर कहने लगे की कल से दिखवाते है और समय में आने के लिए कहते हैं

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