यहां शराब पीना सख्त मना है, आज्ञा से पुलिस अधीक्षक जैसे स्लोगन हर ढाबे, होटल व रेस्टोरेंट में चस्पा हैं, लेकिन हकीकत में खुलेआम इसी आदेश का मखौल उड़ाया जाता है। शाम ढलते ही दमोह शहर बल्कि जिले के कुछ होटल, ढाबे व रेस्टोरेंट मयखाने बन जाते हैं। सबकुछ जानने के बावजूद जिम्मेदार इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे है। इससे होटल, ढाबा संचालकों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।
दमोह :- होली व विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर जिले में आबकारी विभाग और पुलिस की टीम लगातार अवैध शराब बेचने व बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। वहीं दमोह शहर के कुछ होटल ऐसे है जहां सूरज ढ़लते ही होटल में गेस्ट नहीं बल्कि शराब खरीदकर पीने वालों का इंतजार होता है। कुछ होटल शराब दुकानो के बगल में संचालित हो रहे है जहाँ कभी अहाता हुआ करते थे।
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आबकारी विभाग ने अभी तक बंद हुए अहाता शुरू नहीं करवाया जिससे विभाग को भी लाखों रूपये के राजस्व की हानि होने का अंदेशा भी है क्योकि शराब दुकान की लायसेंस फ़ीस से कुछ फीसदी राशि से अहाता का लायसेंस दिया जाता है। जिसके पीछे विभाग कोरोना वायरस के प्रकोप का बहाना बना रहा है विभाग का कहना है वायरस के चलते अहाता बंद हुए थे जिन्हें शुरू करने का आदेश नही मिला है।
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शहर कोतवाली से चंद कदमों की दूरी होने के बावजूद भी पुलिस होटल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने से परहेज करती है, जबकि जिले में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू है। जिले मे विधानसभा उपचुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष कराने के उद्देश्य से अवैध शराब को नियंत्रित करने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी तरूण राठी के जिला आबकारी अधिकारी को निर्देशन के बाद 20 प्रकरण आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 34(1) के कायम किये गये है, जिनमे लगभग 95 लीटर शराब तथा लगभग 600 कि.ग्रा. महुआ लाहन जप्त कर आरोपियो के विरूद्ध कार्यवाही की जानकारी लगी है।
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विधानसभा उपचुनाव के चलते विभाग द्वारा पकड़ी गई शराब से अवैध शराब कारोबार के नियंत्रण के दावों की पोल खुल गई हैं। जबकि शहर में अनेक होटल, रेस्टोरेंट में शराब मयखानों की तरह परोसी जा रही है, जिसके कारण शहर में भी अवैध शराब का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है।