



मध्य प्रदेश राज्य शासन के संस्कृति विभाग और उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी के तत्वावधान में ‘तानसेन समारोह’ की शुरूआत हुई। यह संगीत समारोह 30 दिसंबर तक चलेगा। समारोह के दौरान कुल 8 संगीत सभायें आयोजित होंगीं।
ग्वालियर- मध्य प्रदेश राज्य शासन के संस्कृति विभाग और उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी के तत्वावधान में ‘तानसेन समारोह’ की शुरूआत हुई। संगीत का यह समारोह 30 दिसंबर तक चलेगा। इस समारोह में कुल 8 संगीत सभायें होंगीं।पहली सात सभाओं का आयोजन संगीत के सम्राट तानसेन के समाधि स्थल पर होगा और अंतिम संगीत सभा 30 दिसम्बर को उनकी जन्म स्थली बेहट में झिलमिल नदी के किनारे पर आयोजित की जाएगी।

पारंपरिक तरीके हुई शुरूआत
भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश के प्रतिष्ठित महोत्सव ‘तानसेन समारोह’ की शुरूआत पारंपरिक ढंग से हुई। ग्वालियर के हजीरा स्थित तानसेन समाधि स्थल पर शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद, चादरपोशी और कव्वाली गायन के साथ कार्यक्रम की शुरूआत की गई। स्वर सम्राट तानसेन की पुण्य स्मृति में बीते 95 वर्ष से इस समारोह का आयोजन किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें- राग भोपाली का उद्घाटन करेंगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
तानसेन समारोह में उस्ताद मजीद खाँ और उनके साथियों ने राग बैरागी में शहनाई वादन किया। इसके बाद ढोलीबुआ महाराज नाथपंथी संत सच्चिदानंद नाथ ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन दिए जिसमें उन्होंने ईश्वर और मनुष्य के रिश्तो को उजागर किया। प्रवचन देते हुए उन्होंने ‘कहा कि अल्लाह और ईश्वर, राम और रहीम, कृष्ण और करीम, खुदा और देव सब एक हैं। हर मनुष्य में ईश्वर विद्यमान है। हम सब ईश्वर की सन्तान है और उनके अंश हैं। रोजा और व्रत, मुल्ला और पण्डित, ख्वाजा और आचार्य के उद्देश्य एक ही है की सब नेकी के मार्ग पर चलें।’
राज्य सरकार की ओर से चढ़ाई चादर
ढोली बुआ महाराज ने राग शुद्ध सारंग में कई भजन गाए। मुस्लिम समुदाय से मौलाना इकबाल लश्कर कादिरी ने इस्लामी कायदे के अनुसार मिलाद शरीफ की तकरीर सुनाई। अंत में हजरत मौहम्मद गौस व तानसेन की मजार पर राज्य सरकार की ओर से सैयद जियाउल हसन सज्जादा नसीन ने परंपरागत ढंग से चादर चढ़ाई।