केन्द्रीय राज्यमंत्री की किसानों से अपील- इस बार कम पानी वाली फसल बोये
दमोह – मौसम और किसान का तो बैर सा हो गया है। कभी बारिश होती है तो कभी इतनी होती है कि फसल तक खराब हो जाती है और जब बारिश की जरूरत होती है, उस समय बारिश नहीं होती। संभावित सूखे की आशंका से निपटने के लिए प्रशासन ने अपनी ओर से तैयारियां कर ली हैं। इस बार रवि सीजन में कम पानी में पैदा होने वाली फसलों के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है।
केन्द्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद पटैल ने कहा इस समय पानी सबसे बड़ी चुनौती है जिले में कम वर्षा हुई है, सभी किसान भाइयों से आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी फसलें बोये जिसमें कम पानी की आवश्यकता होती है, विशेषकर गेहूं छोड़कर, गेहूं की सिचाई में अधिक पानी लगता है। इसलिए गेहूं की बोवनी कम मात्रा में करें, हम इन चीजों से बचेंगे जिससे साल हम आसानी के साथ निकाल सकते हैं। हो सकता है पानी की कमी को देखते हुए नदी, बांध से सिंचाई का प्रतिबंध लगेगा, यह प्रतिबंध हम सब के हित में है, इसलिए सब तरफ विचार करके इस विपत्ति काल में सामूहिक रुप से जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए हमें अपना उत्तरदायित्व को पूरा करना चाहिए।
गौरतलब है कि जल संरक्षण आज सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि उपलब्ध जल का 80 प्रतिशत केवल सिंचाई में ही खर्च हो जाता है। इसे देखते हुए सूक्ष्म सिंचाई तकनीक को प्रचलन में लाया गया है। पिछले दशकों से खेती-बाड़ी, विकास कार्यों व अन्य उपयोगों में जल पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है। इस कारण जल के अन्धाधुन्ध दोहन से जलस्रोतों की मात्रा और गुणवत्ता निरन्तर तेजी से घटती जा रही है।
सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली सामान्य रूप से बागवानी फसलों में उर्वरक व पानी देने की सर्वोत्तम एवं आधुनिक विधि है। सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के द्वारा कम पानी से अधिक क्षेत्र की सिंचाई की जा सकती है। इस प्रणाली में पानी को पाइप लाइन के द्वारा स्रोत से खेत तक पूर्व-निर्धारित मात्रा में पहुँचाया जाता है। इससे एक तरफ तो जल की बर्बादी को रोका जा सकता है, तो दूसरी तरफ यह जल उपयोग दक्षता बढ़ाने में सहायक है। सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली अपनाकर 30-37 प्रतिशत जल की बचत की जा सकती है।