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काले हीरे के काले कारोबार से वन विभाग बेखबर.!

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जिले के विभिन्न वनपरिक्षेत्रों से लगातार अवैध खनन औऱ कीमती पेड़ों की कटाई के मामले सामने आते रहते है पर वन विभाग के अधिकारी इस अवैध कारोबार को रोकने और कार्रवाई करने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे है।

दमोह: जिले में अवैध हरे भरे वृक्षों की कटाई और कोयले के अवैध कारोबार का ऐसा ही एक बड़ा मामला सिग्रामपुर और सेलवाड़ा वनक्षेत्र का सामने आया है बताया जा रहा है कि वन विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय से कुछ ही दूरी पर जिले के सिग्रामपुर और सेलवाड़ा के मध्य जिसे कटंगी सर्किल के नाम से भी जाना जाता है।

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इस तरह होती है वृक्षों की कटाई

सिग्रामपुर और सेलवाड़ा वनक्षेत्र में भूमि से गायब हो रहे जंगल

यहां के ग्राम ताला, रिमझिर और मेहगुवा के मध्य स्थित घटिया व नाले के पास, सैकड़ों एकड़ वनभूमि के पेड़ों को काटकर न सिर्फ जंगल नष्ट किया जा रहा है, बल्कि पत्थरों का घेरा बनाकर इनके मध्य कटे पेड़ों को रखकर जलाया जा रहा है और कोयला बना कर आस पास और अन्य जिले में बेचने के लिये भेज जा रहा है। यहां पर अवैध खनन कर पत्थर भी निकाले जा रहे है।

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कीमती वृक्षों की कटाई

भारी मात्रा में जारी है अवैध कटाई और उत्खनन:

ग्रामीणों ने बताया कि इस सर्किल में कई एकड़ वनभूमि के सैकड़ो पेड़ों को काट कर प्रतिवर्ष कोयला बनाया जाता है जिसमें विशेष रूप से ग्राम ताला व अन्य गांव के लोगों की मिलीभगत होती है। पहाड़ी क्षेत्र और जंगल होने के कारण लोग घाटी से टोली बना कर पैदल आते है औऱ यहां के लोगों को शामिल कर कटे पेड़ों का भट्टा लगाकर कोयला बनाते है और महंगे दामों में बेच देते है।

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यहां लगता है कोयले का भट्टा

कब होता है काले हीरे का काला कारोबार..?

काले हीरे के नाम से जाना जाने वाले कोयले का यह काला कारोबार अक्टूबर माह से प्रारंभ होकर फरवरी तक चलता है, इस कारण यहां भिरा और साज प्रजाति के पेड़ों को बहुत नुकसान हुआ है। परंतु आश्चर्य यह है कि प्रतिवर्ष यहां गैरकानूनी काम होता है पर विभाग को इसकी खबर नहीं है।

जानिए जिम्मेदारों की प्रतिक्रिया

इस घटना की जानकारी जब अधिकारियों को दी गई तो विभाग के डीएफओ बी. पटेल व और रेंजर बी. सिंह जांच करवाने की बात कह रहे है वहीं डिप्टी रेंजर एच के महोबिया का कहना है “मुझे यहां आए 6-7 महीने ही हुए है स्थिति कंट्रोल में है और दिखवा लेते है”

 

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