जिला अस्पताल की लचार व्यवस्थाओं और पदस्थ चिकित्सको की व्यवस्था में लगे कारिंदों का व्यवसाईकरण निजी क्लीनिकों में रात-दिन नोट छापने वाले ईश्वर के अवतार कहे जाने वाले सरकारी डाक्टर मरीजों की इलाज करने के बजाय व्यवसाय कर रहे हैं। सरकारी नौकरी करते है फिर भी उनका जेव नहीं भर पाता। कागजों में बीमार मरीजों का इलाज किया जाता है। इस तरह की बातें सरे आम हो चुकी है किन्तु किसी प्रकार की लगाम नहीं लग पा रही है।
दमोह – जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं इस तरह चल रही हैं मानो जिले के मुखिया कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग के नुमाइंदों को खुल्ला छूट कुछ इस कदर दे रखी हो.! कि सरकारी अस्पताल दिनोंदिन बदहाल होता जा रहा हैं। मरीजों को यहां जानबूझकर सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। हेल्थ कमिश्नर भी कह चुके है कि यहां प्रोफेशनल मैनेजमेंट की कमी है। जिला अस्पताल में फैले भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मनमानी की वजह से मरीजों और उनके परिजनों को होने वाली परेशानी की फैहरिस्त काफी लंबी है।
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अस्पताल के बाहर बहुत से सरकारी डॉक्टरों ने अपनी अपनी दुकानें खोल रखी हैं। जिस किसी मरीज ने संबंधित बीमारी के लिए डॉक्टर साहब को चढ़ोत्री न चढ़ाई तो कोई न कोई कमी बताकर डॉक्टर यहां वहां रेफर कर देते हैं। उसके जीवन मृत्यु से अस्पताल को कोई सरोकार नहीं। मरता क्या न करता..?
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पटेरा निवासी राजा अहिरवाल ने बताया कि उसका बेटा दिलीप अहिरवाल विगत दिनों दुर्घटना का शिकार हो गया था जिसका इलाज सरकारी अस्पताल में चल रहा है। आज सुबह राजा ने देखा उसके बेटे के सिर में मवाद आ रही है तो वह डॉक्टर से पूछने चला गया, अस्पताल के बाहर अपनी दुकान खोले बैठे सरकारी डॉक्टर हेमराज सिंह ने उसे अपने क्लीनिक बुलाया। बेचारा राजा एक टूटे स्टेचर में अपने बेटे को लिटाकर सरकारी डॉक्टर के निजी क्लीनिक जा पहुंचा जहां इलाज के 1200 रुपए वसूले गए।
जब सिविल सर्जन ममता तिमोरी से दिलीप अहिरवाल को होने वाली परेशानी के संबंध में चर्चा की तो उन्होंने डॉक्टर का बचाव किया उनका कहना था कि डॉक्टर हेमराज सिंह आज अवकाश पर हैं डॉक्टर अवस्थी की ड्यूटी है। किस वार्डबॉय ने मरीज को बाहर जाने दिया उसका जबाब मांगा जाएगा नोटिस दूंगी। जब सरकारी डॉक्टर निजी क्लीनिक में बुलाते है और सीएस कहती है मैं वार्ड वाय पर कार्यवाही करूंगी, इससे तो लगता है वह मामले को बेलेंस करने में लगी है। जब डॉक्टर हेमराज सिंह के क्लीनिक जाकर उनका पक्ष जानना चाहा तब तक वह चले गए थे। जबकि राजा का कहना है कि वार्ड में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं है यहां व्यवस्था ठीक नही है कभी कभी डॉक्टर आते है ठीक से इलाज भी नही करते।
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आज प्रदेश मे दमोह एक ऐसा चर्चित गौरन्वित शहर बनकर उभर रहा है जहां मानवीय संवेदनाओ को तार-तार करने एवं गरीब असहाय तपके के लोगो का पुरजोर शोषण करने में जिला अस्पताल प्रबंधन प्रदेश में पहला स्थान रखता है.! जहां मानव सेवा को समर्पित शासन से नौकरी तो हथियाई जाती है ज्यौ ही नौकरी पक्की त्यौ ही मानव सेवा के नाम पर हरे कपड़ो का नकाब पहनकर लोगो की गाढ़ी कमाई जेब से निकलवाई जाती है।
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