शहर का जिला चिकित्सालय हमेशा ही चर्चाओं और विवादों में घिरा रहता है फिर चाहे हाउसकीपिंग का मामला हो या वाहन पार्किंग या स्वच्छता या फिर गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य या प्रबंधन द्वारा फिजूलखर्ची के मामले हर मोर्चे पर जिला चिकित्सालय चर्चाओं में है
दमोह: अब एक नायाब मामला सामने आया है अस्पताल की बिल्डिंग के ऊपर टीनशेड लगा दिए गए है जबकि जानकारी अनुसार यह बिल्डिंग जीर्ण शीर्ण हो चुकी है पर उसे ऊपर से टीनशेड से ढँक दिया गया है ताकि बरसात का पानी बिल्डिंग में न भरे चौकाने वाली बात तो यह है कि पुरानी बिल्डिंग के ऊपर टीन शेड लगाने के लिये लाखों रुपए खर्च किये जा रहे है जबकि लोगों का कहना है कि यह कभी भी गिर सकते है और बड़ा हादसा हो सकता है पर ऊपरी कमाई के चक्कर में गुणवत्ता को सिरे से खरिज किया जा रहा है।
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आश्चर्यजनक तथ्य यह भी है कि पूर्व में यहां लगी लाखो रूपये की सोलर प्लेट्स अब टीनशेड लगने से ढक चुकी है जिससे इनका उद्देश्य भी पूर्ण रूप से समाप्त हो चुका है पर लगता हैं कि प्रबंधन को इससे कोई सरोकार नहीं जबकि टीनशेड लगाने के पहले सोलर प्लेट्स हटाने की प्रक्रिया पूर्ण कर लेनी थी जो नहीं की गई और अब प्रबंधन द्वारा उर्जा विभाग से देरी किये जाने का बहाना बनाया जा रहा है।
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गौरतलब है कि बिजली की खपत की बढ़ती मांग और घटते उत्पादन के चक्र में तालमेल बैठाने के लिए यही विकल्प काम आने वाला है। इसलिए सरकार भी इसके इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है। पर जिम्मेदार इसके उपयोग के बारे में अब भी लापरवाह हैं। जब अस्पताल में सोलर प्लेट लग रहा था तो उस समय ऐसा लगा कि अस्पताल अब बिजली की समस्या नहीं रहेगी, परंतु सोलर प्लेट जिला अस्पताल के छत पर शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। मरीज अंधेरे में रहते हैं। बिजली कटने के बाद जेनरेटर चालू होने तक पूरा अस्पताल अंधेरा में डूबा रहता है।
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ज्ञातव्य हो कि जिस तरह बिजली कंपनियां हमारी बिजली की खपत में प्रति यूनिट के हिसाब से हमसे पैसे चार्ज करती हैं। ठीक वैसे ही अगर हम सोलर पावर के जरिए बिजली पैदा करें तो उसे वापस बिजली कंपनियों को देकर बिल में छूट पा सकते हैं।
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इस संबंध में जिला चिकित्सालय दमोह की सिविल सर्जन डॉ. ममता तिमोरी ने प्रतिक्रिया दी है उनका कहना है ” सोलर प्लेट्स शिफ्ट करने का चल रहा है ऊर्जा विभाग में इन्फर्मेशन भेजना पड़ती है वहां से थोड़ा डिले हो रहा है”