



दमोह जिला अपस्पताल के किचिन की हालत किसी पब्लिक टॉयलेट से कम नहीं है। किचिन के अंदर आपको गंदगी का ढेर, जहां तहां चूहों के बड़े-बड़े बिल, धूल-मिट्टी और गंदगी से सने वर्तन, बगैर ढंका हुआ कच्चा अनाज आसानी से देखने को मिल जाएगा। इस किचिन में रोजोना 100-150 मरीजों के लिए भोजन तैयार किया जाता है साथ ही जिला अस्पताल में एडमिट प्रसूता महिलाओं के पोषण के लिए जरूरी ड्राई फ्रूट से युक्त गुड़ के लड्डू भी बनाए जाते हैं।
दमोह- घटिया स्वास्थ्य सेवाओं और मरीजों व उनके परिजनों के साथ अमानवीय व्यवहार के रूप में अपनी छवि स्थापित कर चुके जिला अस्पताल की रसोई के हाल भी बद से बदतर हैं। जिला अस्पताल के इस किचिन में रोजोना 100-150 मरीजों के लिए भोजन तैयार किया जाता है साथ ही जिला अस्पताल में एडमिट प्रसूता महिलाओं के पोषण के लिए जरूरी ड्राई फ्रूट से युक्त गुड़ के लड्डू भी बनाए जाते हैं। लेकिन सरकारी किचिन के हाल देखकर आप मरीज के परिजनों के उस फैसले की तारीफ जरूर करेंगे जिसमें वे अस्पताल में भर्ती अपने मरीज के लिए भोजन और अन्य खाद्य सामग्री अपने घर से ले जाते हैं।
किचिन में रहती है गंदगी
जिला अपस्पताल के किचिन की हालत किसी पब्लिक टॉयलेट से कम नहीं है। किचिन के अंदर आपको गंदगी का ढेर, जहां तहां चूहों के बड़े-बड़े बिल, धूल-मिट्टी और गंदगी से सने वर्तन, बगैर ढंका हुआ कच्चा अनाज आसानी से देखने को मिल जाएगा। इसके अलावा रसोई गैस के बाहर बजबजाती नालियों में घूमने वाले चूहे कब किस खाद्य पदार्थ को जूठा कर जाएं कहा नहीं जा सकता। किचिन में लगाए गए टाइल उखड़ चुके हैं जिनके नीचे से सीमेंट और रेत बाहर फर्स पर जमी हुई है। किचिन के हाल इतने बुरे हैं कि वहां काम करने वाले कर्मचारियों के बैठने के लिए साफ जमीन तक नहीं है।

किचिन इंचार्ज ने बताई सच्चाई
किचिन के इंचार्ज माधव ठाकुर ने बताया कि “रसोई घर के पीछे बनी नाली से चूहे बड़ी आसानी से रसोई घर में घुस आते हैं और रसोई घर में रखी खाद्य सामग्री को दूषित करके चले जाते हैं बाद में यही दूषित भोजन अस्पताल में भर्ती मरीजों को खाने के लिए दिया जाता है, रसोई में रोजाना 100-150 लोगों का खाना बनाता है”

अन्य संक्रामक बीमारियों का बढ़ रहा खतरा
एक तरफ जहां कोरोना काल में साफ-सफाई का विशेष ध्यान देने की बात कही जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ मरीजों को दिए जा रहा दूषित भोजन अस्पताल प्रबंधन की पोल खोलने के लिए काफी है। कोरोना काल में आए दिन कई तरह के फंगल इन्फेक्शन पर आधारित नई-नई बीमारियों का दौर जारी है ऐसी स्थिति में जिला अस्पताल की किचिन की ये तस्वीरें प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर रही है। अगर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो जल्द ही इस संक्रमण काल में कई अन्य बीमारियां देखने को मिल सकती हैं जो शायद जानलेवा भी साबित हों।

केंद्रीय मंत्री के दौरों का नहीं दिखा असर
दमोह लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी सांसद और मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल अब तक करीब एक दर्जन से अधिक बार जिला अस्पताल का दौरा कर चुके हैं। लेकिन जिला अस्पताल की सुविधाओं में कोई खास अंतर देखने को नहीं मिला है। घटिया स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बदनाम जिला अस्पताल आज भी अपने हक के ऑक्सीजन के लिए जंग लड़ रहा है। स्थिति यह कि केंद्रीय मंत्री के दौरों के बाद भी न तो मरीजों को समय पर सही इलाज मिल रहा है और न ही पोषणयुक्त भोजन।

महीनेभर में जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर हुई बैठकें और दौरे
- 6 मई 2021- केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने जिला आपदा प्रबंधन समिति की ली बैठक
- 9 मई 2021- जिला कलेक्टर ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया
- 13 मई 2021- दमोह जिले के कोविड प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने वीसी के माध्यम से आपदा प्रबंधन समिति की बैठक के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा की
- 15 मई 2021- केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, वेयर हाउस कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष राहुल सिंह और जिला कलेक्टर एस कृष्ण चैतन्य ने अस्पताल का निरीक्षण किया
- 19 मई 2021- जिला कलेक्टर ने जिला अस्पताल और कोविड केयर सेंटर का औचक निरीक्षण किया
- 26 मई 2021- कोविड प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की ली बैठक
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, विधायक अजय टंडन, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, एसडीएम, तहसीलदार सहित अन्य अधिकारी जिला के कोविड केयर सेंटर और स्वास्थ्य केंद्रों के दौरे किए लेकिन किसी ने भी जिला अस्पताल के रसोई घर का निरीक्षण नहीं किया। आज यानी रविवार एक बार को फिर केंद्रीय राज्य मंत्री प्रह्लाद पटेल जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं ऐसे में देखना होगा कि क्या वे रसोई घर की स्थिति को देखते हैं या फिर हमेशा की तरह फोटो सेशन और औपचारिक चर्चा कर लौट आएंगे।