दमोह – शहर का जिला चिकित्सालय किसी न किसी कारण से हमेशा चर्चाओं का केंद्र बना रहता है फिर चाहे मरीजों को हो रही असुविधा हो या गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य या विभागीय विवाद या प्रबंधन द्वारा फिजूलखर्ची के मामले। वर्तमान में इस अस्पताल में बाहरी साज सज्जा जारी है।
कार्य जो नही हुए : सूत्र बताते है कि अस्पताल की छत पर बनाए जा रहे टीनशेड में करीब 7 फीट ऊंची कमरानुमा दीवाल बनाकर उसमें टाइल्स- पुट्टी कलर का कार्य किया जाना था। साथ ही वहा आने जाने के लिए चारों और से सीढियाँ भी बनना शेष है। टीनशेड की ऊँचाई भी 12 फीट से अधिक होनी थी। दरअसल अस्पताल में स्थित वार्डो की छत पर टीनशेड से बने इन कमरों में मरीज के परिजनों के ठहरने के लिए भी सम्पूर्ण व्यवस्था की जानी है। 12 फीट की ऊंचाई वाले इन टीनशेड में फॉल सीलिंग प्रस्तावित है जिससे टीनशेड धूप में गर्म ना हों और इसमें पंखे भी लगाये जा सकें। अभी जो टीनशेड लग रहा है उसकी कहीं-कहीं ऊचाई छत की बाउंड्री से आधा फीट ही नजर आ रही है। वहीं जानकारों की माने तो ठेकेदार द्वारा टेंडर शेड्यूल के अनुसार कार्य नहीं किया जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा भी इसे नजरअंदाज भी अनेक शंकाओं को जन्म दे रहा है।
आंकलन दल ने नहीं मानी सिविल सर्जन की बात :चौकाने वाली बात तो यह है कि करीब एक करोड़ रुपए की लागत से पुरानी बिल्डिंग के ऊपर टीनशेड लगाये जा रहे है जबकि यह बिल्डिंग कभी भी गिर सकती है और बड़ा हादसा हो सकता है परंतु ऊपरी कमाई के चक्कर में गुणवत्ता को सिरे से खरिज किया जा रहा है। सिविल सर्जन डॉ. ममता तिमोरी खुद पीडब्लूडी विभाग से बिल्डिंग को अनुपयोगी करने की गुहार लगा चुकी है। उनका तो यह भी कहना है कि बिल्डिंग वजन नहीं झेल सकती है, अगर विभाग बिल्डिंग को अनुपयोगी घोषित करता है तो हम नए सिरे से प्रस्ताव भेजकर बहुमंजिल भवन की स्वीकृति ले लेते।
टीनशेड लगाने के पीछे की रणनीति : पुरानी बिल्डिंग में अनेक जगह से दरारें आ गई है जिससे उसमे बरसात का पानी भरने लगा था और कोई बड़ा हादसा न हो इसके लिए टीनशेड लगाए जा रहे है। जबकि अभी कुछ वर्षो पूर्व भी लाखों रुपए खर्च कर अस्पताल का नवीकरण किया गया था। और अब उक्त निर्माण कार्य करने वाली एजेंसी का नाम अभी तक सामने नहीं आया
यह भी नही हो रहा : नियमानुसार निर्माण स्थल पर एस्टीमेट एवं डीपीआर का निर्माण स्थल पर बोर्ड लगाकर सार्वजनिक किया जाना चाहिए, लेकिन ठेकेदार ने बोर्ड नहीं लगाया है। सूत्रों की माने तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकांश कार्य जिले के किसी बड़े अधिकारी के खासमखास कर रहे है जिससे कोई टोकने वाला भी नहीं है।