



दमोह:– दमोह विधानसभा उपचुनाव में मुद्दों की म्यान से तलवार निकालने के बजाए जुबानी जंग पर चुनाव जीतने का दंभ कांग्रेस व भाजपा के योद्धा भर रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी ने जुबानी ताल ठोकी तो भाजपा के अब तक अधिकृत नहीं किए गए प्रत्याशी ने कुछ मीडियाकर्मियों को बुलाकर अपनी भड़ास निकाल ली।
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चुनावी रणभेरी बजने के पहले दिन जनता के बीच तो कोई नहीं पहुंचा, बंद हालों में और मोहल्ले के पंडालों में अपने-अपने ढोल बजाए जाते रहे हैं। जब से चुनाव की ढुगढुगी बजी है, ये जनता जनार्दन बिल्कुल मौन धारण किए हुए चुपचाप बैठी है। हां कुछ आवाजें आ रही हैं पानी नहीं तो वोट नहीं।
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नारद की नजर में शहर 1990 से नगर पालिका परिषद दमोह की हर दिन नलों से होने वाली बारिश रूपी पेयजल सप्लाई के लिए तरस रहा है, लेकिन लगातार इस विधानसभा के राजा रहे मलैया भी अपने राज में हर दिन पानी नहीं दिला पाए। राहुल आए तो 15 महीनों में मेडिकल कॉलेज के लिए लगे रहे, लेकिन दमोह में नलों से होने वाली बारिश की दिशा में ऐसा हठ नहीं पकड़ा। यदि हठ पकड़ लिया होता तो आज जो दमोह के विभिन्न वार्डों से पानी नहीं तो वोट नहीं के नारे गूंजने लगे हैं पीले डिब्बे दिखाने लगे वह नहीं होता।
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नारद को इस बार अचरज हो रहा है कि जनता जर्नादन पहले इतनी मुखर नजर नहीं आई, जब फिल्टर प्लांट से पानी भरती रहती थी, अब यह मुखरता कहां से आ गई। क्या वही लोग प्रेशर दे रहे हैं, जिन्होंने अपने राज में इस शहर में नलों से होने वाली सप्लाई को प्रेशर से नहीं खुलवा पाए। दमोह शहर के फुटेरा वार्ड ऐसे वार्ड हैं जहां पानी महज 15 से 30 मिनिट ही दिया जाता है, लेकिन सालों पुरानी इस समस्या को भाजपा ने अपने राज निपटाया नहीं और कांग्रेस ने इस बारे में सोचा नहीं है।
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पिछले दो दिन से पानी को लेकर आवाजें आ रही हैं लेकिन चुनाव के योद्धाओं ने इन वार्डवासियों की अब तक सुध नहीं ली है। जिससे नारद को यह जान पढ़ता है कि यह चुनाव मुद्दों के बजाए इस बार जुबानी जंग पर लड़ा जाएगा असल मुद्दे महंगाई व बेरोजगारी की तो इस चुनाव में बात होती भी दिखाई नहीं दे रही है।
पढ़ते रहिये निष्पक्ष समाचार: नारायण..नारायण..नारायण..