कोरोना वायरस से लगातार हो रही मौतों की वजह से लोगों में भय का माहौल बना हुआ है. कोरोना के नए म्यूटेंट से संक्रमित होने वाले लोगों के फेफड़ों में इन्फेक्शन की समस्या अधिकांश केस में सामने आ रही है. फैफड़ों में इन्फेक्शन की वजह से सांस लेने में तकलीफ होती और यदि समय पर मरीज को ऑक्सीजन ना मिले तो उसकी मौत भी हो सकती है.
दमोह- कोरोना वायरस का नाम सुनते ही लोग पैनिक हो जाते जिससे शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमता कम होने लगती है. कोरोना वायरस से लड़ने में हमारे शरीर की इम्यूनिटी लेवल का अहम रोल होता है अगर आपके शरीर का इम्यूनिटी लेवल ठीक है तो आप कोरोना वायरस से आसानी से जंग जीत सकते हैं. कोरोना वायरस की दूसरी लहर में काफी घातक परिणाम देखने को मिल रहे हैं यह वायरस इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि इसके लक्षण आसानी से दिखाई नहीं देते. ऐसे में लोगो को और ज्यादा सावधानी बरतने की जरुरत है.
बीते एक साल से कोविड के मरीजों का इलाज कर रहे आयुष मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर पुष्पेंद्र त्रिपाठी अभी तक हजारों कोरोना के मरीजों का इलाज कर चुके हैं. आइए उनसे जानते हैं कोरोना के नए म्यूटेंट से कितने दिनों में मरीज रिकवर हो सकता है, ऑक्सीजन की समस्या को लेकर लोगों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए. कोरोना संक्रमण से घर में रहकर लोग अपने आपको कैसे सुरक्षित रख सकते हैं
पहला सवाल- डॉ. साहब कोरोना के नए म्यूटेंट से बचने का सबसे आसान तरीका क्या है?
जवाब– कोरोना के नए म्युटेंट से बचने के लिए भी वही तरीके हैं जो पहले थे मतलब, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना मास्क लगाना और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना. इसके अलावा यह देखा गया है कि कोरोना वायरस का नया म्युटेंट बहुत कम समय में फेफड़ों में इन्फेक्शन को बढ़ा देता है इसलिए कोरोना के लक्षण दिखते ही हॉस्पिटल जाकर जांच करानी चाहिए. ताकि जरुरी इलाज समय पर शुरु किया सके.
दूसरा सवाल- कोरोना संक्रमित मरीजों में सबसे कॉमन क्या चीज निकल कर आ रही….. कोई ऐसे लक्षण, या इन्फेक्शन के बारे में बताएं जो कोरोना के इस नए म्युटेंट के मरीजों मे देखे जा रहे हैं.
जवाब- अभी जो सबसे कॉमन लक्षण सामने आ रहे हैं उनमें मरीज को ठंड के साथ बुखार, मुंह का सूखना, शरीर में एकदम से कमजोरी का होना, बीपी का कम होना देखा जा रहा है लेकिन इसके लिए पैनिक लेने की जरुरत नहीं है और रिकवरी रेट भी ठीक है बशर्ते मरीज का समय पर इलाज शुरु हो जाए.
तीसरा सवाल- कोरोना के मामलों में सीटी स्कैन एक नया शब्द जुड़ा है ….. क्या आप बता सकते हैं कि कोरोना के इलाज में सीटी स्कैन कितनी कारगर है? क्या नेगेटिव मरीज को भी सीटी स्कैन कराना चाहिए?
जवाब- कोरोना से संक्रमित मरीजों में सीटी स्कैन कराना भी जरुरी है क्योंकि RTPCR रिपोर्ट में कुछ मामले नेगेटिव होने बाद भी उन्हे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ा है. कोरोना वायरस के अब जो मामले सामने निकल कर आ रहे हैं उनमें फेफड़ों में इन्फेक्शन देखने को मिल रहा है. जोकि एक्स-रे, सीटी स्कैन करने पर निमोनिया के रूप में मिलता है. सीटी स्कैन रिपोर्ट से ही हमें निमोनिया के एक्सटेंट का पता चलता है. मतलब कि वह कितना फैल चुका है कई बार कोविड की रिपोर्ट निगेटिव आने पर भी मरीज को निमोनिया हो सकता है इसलिए कोविड के नेगेटिव मरीजों को अगर कोई तकलीफ रहती है तो उन्हें सीटी स्कैन करा लेनी चाहिए.
चौथा सवाल- डॉक्टर साबह ! ऑक्सीजन लेवल को लेकर लोगों में पैनिक रहता है ? एक डॉक्टर के नाते आप क्या सजेस्ट करते हैं? एक स्वस्थ्य मरीज का ऑक्सीजन लेवल कितना होता है, मरीज को ऑक्सीजन के किस लेवल पर डॉक्टरी सलाह की जरुरत होती है?
जवाब- डॉक्टर होने के नाते मैं कहूंगा कि कोरोना से संक्रमित हर मरीज को ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती. लगभग 90 प्रतिशत मरीज को यदि पर्याप्त आराम, दवाइयां और प्रॉपर हाइड्रेशन मिल जाए तो वे आसानी से ठीक हो सकते हैं. सामान्य तौर पर ऑक्सीजन का स्तर अगर 95 के ऊपर है तो मरीज को घबराने की जरुरत नहीं है उसे oxygen सपोर्ट की आवश्यकता नहीं है. लेकिन यदि यह स्तर 94 या उससे नीचे जाने लगे तो मरीज को प्रॉपर मॉनिटरिंग की आवश्यकता होती है और ऑक्सीजन लगानी पड़ती है.
पांचवा सवाल- डॉक्टर साहब ! अगर शरीर में लगातार ऑक्सीजन का स्तर कम हो रहा है तो इसे सामान्य करने के कोई घरेलू या तात्कालिक उपाए भी हैं?
जवाब- अगर शरीर में लगातार ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है और कोई मेडिकल सुविधा उपलब्ध नहीं है तो ऐसी स्थिति में पेशेंट को उल्टा पेट के बल लेटा देना चाहिए और कोशिश करें की चलना फिरना बिल्कुल भी ना हो. और ज्यादा से ज्यादा रेस्ट करें इससे पेशेंट के शरीर में ऑटोमेटिक ऑक्सीजन लेवल बढ़ने लगेगा और सामान्य तरीके सांस चलने लगेगी.
छटवां सवाल- डॉक्टर साहब! कोरोना के नए म्यूटेंट से संक्रमित हो रहे लोग कितने दिन में ठीक हो रहे हैं?
जवाब- कोरोना के नए म्युटेंट से संक्रमित लोगों के ठीक होने में लगभग 10 से 14 दिन लगते हैं जैसा कि अन्य वायरल डिजीज में होता है. लेकिन अगर शरीर में मौजूद कोरोना वायरस की वजह से कोई पैथोलॉजी जैसे निमोनिया आदि हो जाए तो उसे ठीक होने में ज्यादा समय लग सकता है.