



दमोह- जिले का सबसे प्राचीन स्थल कुंडलपुर में स्थित है जो लगभग 5000 वर्ष पुराना है जो महाभारत के समय का माना जाता है। जहां माता रुक्मणी और माता अंबिका का अति प्राचीन स्थल है। वहां पर 6 जनवरी बुधवार को माता रुक्मणी की जयंती के पावन अवसर पर सुंदरकांड पाठ और भव्य आरती का आयोजन भक्तों द्वारा किया गया साथ ही दाल बाटी का भी भंडारा हुआ बांदकपुर धाम से राम गौतम एवं दमोह जिले के अनेक भक्तों की उपस्थिति रही जिसमें क्षेत्रीय लोग भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
जागरूक युवा संघ के अखिलेश सिंह घोष ने बताया कि रूक्मणि अष्ठमी (अवतरण दिवस) पर हम सभी युवाओं ने कुण्डलपुर स्थित मॉं अम्बा जी और मॉं रूक्मणि देवी मंदिर पहुंचकर अष्ठमी पर्व माता के चित्र के समक्ष पूजन अर्जन किया और माता की आरती की। ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व के स्थल पर सभी ने अपने श्रृद्वा पुष्प भी माता को समर्पित किये। मठ मंदिर का दमोह के इतिहास में अतिविशिष्ट स्थान है, मठ मंदिर दमोह का एक ऐतिहासिक महत्व को भी प्रदर्शित करता है, जो महाभारत काल से संबंधित है।
राम गौतम ने कहा कि श्री जागेश्वरनाथ महादेव की प्रेरणा से पहली बार माता रुक्मणी की जयंती के अवसर पर कुंडलपुर में सुंदरकांड पाठ का भव्य आयोजन हुआ है। सभी भक्तों का यही प्रार्थना भोलेनाथ से है कि शीघ्र ही माता रुक्मणी और माता अंबिका का भव्य मंदिर का निर्माण कुंडलपुर में हो साथ ही माता रुक्मणी जी की प्रतिमा शीघ्र ही दमोह से आकर मंदिर में विराजमान हो।
आयोजन में स्थानीय पुजारी दीपक उपाध्याय ने भी शासन और राजनेताओं द्वारा की गई घोषणा की जानकारी दी साथ ही स्थानीय प्रकाश गर्ग शिक्षक, अग्रवाल, चौरसिया सहित गैसाबाद से रजनीश तिवारी, भाई अभिषेक गोलू चौबे, रीकेश चौबे, दमोह से मनीष राजोरिया सहित अनेक भक्तों की उपस्थिति रही और सभी का यही भाव है कि शीघ्र ही माता रुक्मणी और माता अंबिका के मंदिर का निर्माण होकर समुचित व्यवस्था हो साथ ही दमोह जिले के संग्रहालय में रखी माता रुक्मणी की प्रतिमा को मठ में पुनः स्थापित किया जाए।
इस धार्मिक आयोजन में मृत्युंजय पाठक, मंयक सिंह तोमर, प्रिंस सिंह परिहार, विशेष पलंदी, राहुल कुमार, अनुज ठाकुर, पटेरा से विनय चौबे, सौरभ सिंह राजपूत, पं. दयाशंकर चौबे, पप्पू परोहा, गोलू उपाध्याय, सौरभ जैन, विजय यादव, शंशाक अवस्थी आदि उपस्थित रहे।