





दमोह :- श्रीलंका, आस्ट्रेलिया, जापान, टर्की, ईरान, मंगोलिया देश और द्वीप कैसे है इसको जानने के लिए किताब या एटलस देखने की जरुरत नहीं है सिर्फ आप दमोह जबलपुर मार्ग पर यात्रा कर लें तो वहां दुनिया भर के देश द्वीपों के नक़्शे सड़क पर बने दिखाई दे जायेगे। यह सब इसलिए हुआ क्योकि सड़क निर्माण के समय घटिया स्तर के डामर का उपयोग और गुणवत्ता पर ध्यान न देने से कुछ ही दिनों में सड़क के हिस्से जगह जगह से उखड़ने लगे जिस कारण बने गढ्ढे देखने में लगता है कि यह किसी देश द्वीप के नक़्शे हों।
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दरअसल सड़क मार्ग विकास और प्रगति का परिचायक होते है इसलिये ही सबसे ज्यादा जोर इनके निर्माण और गुणवत्ता पर दिया जाता है खासकर इसलिये भी क्योकि सड़क दुर्घटना के आंकड़ें भी लगातार बढ़ रहे है जिन्हें कम करना भी आवश्यक है पर इस पर शासन प्रशासन की नजर न जाना सोचनीय है।
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शहर से सागर,जबलपुर, छतरपुर मार्ग की हालत खराब हो चली है पर टोल टैक्स बकायदा लिया जाता है। दमोह से जबलपुर की और जाने वाला स्टेट हाइवे पर तो अब सड़क ढूंढना मुश्किल हो गया है साथ ही यह भी देखना पड़ता है कि कौन सड़क का कौन सा गड्ढा छोटा है जिससे वाहन को आसानी से निकाला जा सके।
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इस मार्ग से गुबरा तक जाने में ही 500 से ज्यादा छोटे-बड़े गड्ढे है जबकि सड़क का कुछ हिस्सा राष्ट्रपति के सिग्रामपुर दौरे के चलते आनन फानन में बना भी दिया। बाकि की सड़क पर गढ्ढे को देखने से ऐसा प्रतीत की दमोह जबलपुर मार्ग पर दुनिया के छोटे बड़े देशों के नक़्शे बना दिये गए हों। रात में यह सफ़र और भी खतरनाक हो जाता है। आश्चर्य यह भी है कि इन दिनों दमोह विधानसभा में उपचुनाव की तैयारी चल रही है और यहां प्रदेश के मंत्री, विधायक संगठन प्रभारी लगातार सड़क मार्ग से आते जाते है पर न उन्हें अतिक्रमण दिखाई देता है न ही इनकी जर्जर हालत।
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इस सड़कों पर हो रहे एक्सीडेंट और वाहनों की टूटफूट से यात्री तो हलकान है पर अस्पताल और गाड़ी सुधारने वालों के यहां भीड़ ही दिखाई देती है। दमोह से जबलपुर या सागर जाते समय ही टोल नाके पर पर्याप्त राशि भी वसूली जाती है पर सड़कों को दुरस्त न करना और जिम्मेदारों द्वारा ध्यान न देना सोचनीय है।