



दमोह – एक तरफ प्रदेश की पूर्व मुख्य मंत्री उमा भारती प्रदेश में शराबबंदी की लगातार मांग उठा रही हैं। वहीं दूसरी तरफ जिले के बड़े सरकारी दफ्तर और कलेक्ट्रेट परिसर में शराब की बोतलों का अंबार लगा हुआ है। जिले के सरकारी दफ्तर से लेकर शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले स्कूलों तक शराब का नशा जमकर बोल रहा है। जिला कलेक्ट्रेट के अधिकांश विभाग में खाली शराब बोतलें मिलना आम बात है। इसके अलावा जिले के कई स्कूलों में भी शराब की बोतलें अन्य नशीले पदार्थों के पैकेट मिल चुके हैं। यहां पर पदस्थ कर्मचारी अधिकारियों ने ही सरकारी काम काज के ठिकानों को शराब पीने का अड्डा बना रखा है।
कलेक्ट्रेट परिसर में पीने के साफ पानी के लिए लगाया गया वाटर कूलर शराब की खाली बोतलों से भरा पड़ा है। शराब की बोतलों के अलावा उसमे अन्य नशीले पदार्थों की अवशेष पड़े हैं। जब इस सम्बंध में जिला कलेक्टर से बात की गई तो वे सम्बंधित व्यक्तियों पर कार्रवाई करने की बात तो की है साथ ही कलेक्टर परिसर को मॉडल परिसर बनाने की बात कहने लगे क्या इस तरह से कलेक्ट्रेट परिसर को मॉडल परिसर बनाया जा सकता है.? जिला को साफ सुथरा और शांतिपूर्ण तरीके से रखने की सारी जिम्मेदारी कलेक्टर की होती है। लेकिन इतने गंभीर मामले में दमोह कलेक्टर चैतन्य का यह रवैया नशाखोरी करने वालों पर खास असर नहीं करेगा।
कलेक्टर परिसर के अलावा पंजीयन कार्यालय, विकलांग पुनर्वास केंद्र जिला पंचायत के साथ और भी शासकीय कार्यालय के आसपास शराब की खाली बोतलें मिली हैं। इससे एक बात साफ है कि जिम्मेदार अधिकारी इसके बारे में जानबूझकर अनजान बने हुए हैं।
शासकीय कार्यालयों के अलावा सरकारी स्कूलों में भी शराबी बेख़ौफ़ जाम टकरा रहे हैं। बीते दिनों शहर के कछिया इलाके में स्थित एक स्कूल में कुछ लोगों ने शराब पीकर एक राहगीर से बेरहमी से मारपीट की थी। शराबियों की पिटाई से घायल राहगीर ने जिला अस्पताल में इलाज के दौरान घटना की पूरी जानकारी दी थी। उसने खुद के साथ हुई इस बर्बरता की जानकारी पुलिस को भी दी थी। लेकिन शायद पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
इन सभी परिस्थितियों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में शराब का नशा सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों समेत बदमाशों के सिर चढ़कर बोल रहा हैऔर जिम्मेदार अधिकारी इन सब पर पर्दा डालने की कोशिश में लगे हुए हैं।
1 comment
यदि कलेक्टर महोदय ऐसी बात बोल रहे तो सबसे ज्यादा लापरवाह वही हैं जब कोई अधिकारी नया चार्ज लेता है तो उसे सारे परिसर की जांच करनी चाहिए,,कि कहाँ क्या हो रहा था,,