



भोपाल- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भोपाल ने बताया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान ऐसे मरीज जो कोविड से ठीक हो चुके हैं या जो लक्षणयुक्त हैं, पर आर.टी.पी. सी.आर. रिपोर्ट निगेटिव है और यदि लगातार खांसी, बुखार बना रहता हो या भूख नहीं लग रही है या रात्रि को पसीना आता है या वजन कम हो रहा है, तो उनको क्षय (टीबी) रोग की जाँच कराना चाहिए। उन्होंने सलाह दी है कि ऐसे व्यक्ति अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर बलगम या खकार की जांच अवश्य करवायें, जिससे समय रहते टीबी रोग की पहचान हो सके एवं निःशुल्क उपचार प्रदान किया जा सके।
इस संबंध में जिला क्षय अधिकारी ने बताया कि ऐसे रोगी बिना किसी संकोच के सामने आयें एवं एक्सरे-बलगम की जांच करवायें, टीबी रोग का पता लगाकर समय पर टीबी का निःशुल्क उपचार प्राप्त करें।
हाल ही में ऐसी खबरें आई हैं कि कोविड-19 से संक्रमित मरीजों में क्षय रोग (टीबी) के मामलों में अचानक बढ़ोतरी देखी गई है, प्रत्येक दिन करीब एक दर्जन ऐसे ही मामले आने से चिकित्सक चिंतित हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय नई दिल्ली ने सभी कोविड-19 संक्रमित मरीजों के लिए क्षय रोग (टीबी) की जांच और पहचान किए गए सभी टीबी मरीजों के लिए कोविड-19 परीक्षण की सिफारिश की है। वहीं राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से कहा गया है कि वे अगस्त 2021 तक बेहतर निगरानी और टीबी व कोविड-19 के मामलों का पता लगाने के प्रयासों में एकरूपता लाएं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय नई दिल्ली ने बताया कि वर्तमान में यह बताने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं कि कोविड-19 के कारण टीबी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
क्षय रोग (टीबी) और कोविड-19 को इस तथ्य के जरिए और अधिक सामने लाया जा सकता है कि दोनों बीमारियों को संक्रामक रोग के रूप में जाना जाता है और ये मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करते हैं और ये खांसी, बुखार व सांस लेने में कठिनाई जैसे समान लक्षण पैदा करते हैं, हालांकि टीबी से संक्रमित होने की अवधि लंबी होती है और इस बीमारी की शुरुआत की गति धीमी होती है।
इसके अलावा, टीबी के रोगाणु निष्क्रिय अवस्था में मानव शरीर में मौजूद हो सकते हैं और किसी भी कारण से व्यक्ति की प्रतिरक्षा कमजोर होने पर इसके रोगाणु में कई गुणा बढ़ोतरी होने की क्षमता होती है। समान रूप से ये चीजें कोविड के बाद के परिदृश्य में लागू होती हैं, जब वायरस के कारण या इलाज, विशेष रूप से स्टेरॉयड जैसे प्रतिरक्षा-कम करने वाली दवा के चलते किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा कम विकसित हो सकती है।