




आज 1 जुलाई से अनलॉक का दायरा और बढ़ाया जाएगा कोरोना संक्रमित मरीज भी घट रहे हैं, लेकिन जिस तरह की लापरवाही हो रही है, उससे कब तक अनलॉक रहेगा कहा नहीं जा सकता, क्योंकि धीरे-धीरे तीसरी लहर की आहट भी कुछ राज्य में सुनाई देने लगी है।
सरकार ने डॉक्टर नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों सहित 10 सेवाओं को अगले 3 महीने के लिए अतिआवश्यक सेवाएं घोषित कर दिया है। क्योंकि कोरोना का संकट अभी टला नहीं है कोरोना की तीसरी लहर का प्रकोप सितंबर अक्टूबर में फिर बढ़ने की संभावना है।
दरअसल इस समय पूरी दुनिया अनिश्चितता के माहौल से गुजर रही है, क्योंकि कहीं कहीं डेल्टा प्लस तीसरी लहर के रूप में सामने आ रहा है। पिछले डेढ़ साल में पूरी दुनिया में करीब 40 लाख मौतें हो चुकी हैं और 18 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं, सबसे ज्यादा दूसरी लहर में नुकसान हुआ है, जिसका अंदाजा वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए और हम भूल गए कोरोना वायरस हमारे आस पास ही मौजूद है। जिसके कारण लोगों ने लापरवाही शुरू कर दी कुछ लोग तो मास्क लगाना, सुनिश्चित दूरी बरतना और नियमित रूप से हाथ साफ करना भी भूल गए थे, जिसका खामियाजा भी हम सब ने भुगता है। अब एक बार फिर से धीरे-धीरे सब कुछ अनलॉक होता जा रहा है और यदि हमने अनलॉक को लापरवाही की आजादी माना तो तीसरी लहर कितनी खतरनाक होगी कुछ कहा नहीं जा सकता।
बहरहाल, राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधा सहित 10 सेवाओं को अगले 3 महीने के लिए अति आवश्यक सेवाएं घोषित कर दिया है। जिसमें सभी शासकीय एवं निजी स्वास्थ्य संस्थाओं में स्वास्थ्य सुविधाएं डॉक्टर, नर्स स्वास्थ्य कर्मी स्वास्थ्य संस्थानों में स्वच्छता कार्यकर्ताओं की सेवाएं, मेडिकल उपकरणों की बिक्री संधारण एवं परिवहन, दवाइयां एवं ड्रग की बिक्री परिवहन एवं निर्माण से जुड़ी गतिविधियां, सभी एंबुलेंस सेवाएं, पानी एवं बिजली की आपूर्ति, सुरक्षा संबंधी सेवाएं, खाद्य एवं पेयजल प्रावधान एवं प्रबंधन और बायो–मेडिकल वेस्ट प्रबंधन को अत्यावश्यक सेवा घोषित कर दिया गया है। इस संबंध में सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं, लेकिन सरकार के अलावा आम आदमी को भी अपनी तरफ से सावधानी बरतनी होगी, जिससे कि तीसरी लहर के खतरे को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। क्योंकि कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस के मामलों का निरंतर बढ़ना जितना चिंताजनक है उतना ही सावधानी पूर्वक रहने का संदेश भी है।
कुल मिलाकर हम धीरे-धीरे पूरी तरह से अनलॉक की ओर बढ़ रहे हैं, वैक्सीनेशन का अभियान भी चल रहा है और मरीज भी कम हो रहे हैं, लेकिन यदि अनलॉक को लापरवाही के लिए आजादी मान लिया जाएगा तो फिर स्थिति एक बार फिर भयावह हो सकती है।