



हाल ही में पठान फिल्म के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के मामले में इतिहास रच दिया है। आम तौर पर दर्शकों के लिए किसी फिल्म की सफलता का पैमाना उसकी बॉक्स ऑफिस कमाई पर निर्भर करता है। लेकिन निर्देशक अनुराग कश्यप ऐसा नहीं सोचते हैं। अनुराग के मुताबिक अगर ये सच होता तो वो बहुत पहले इंडस्ट्री छोड़ चुके होते।
पठान के बॉक्स ऑफिस पर मिली शानदार कामयाबी के बारे में बात करते हुए अनुराग कश्यप कहते हैं कि जनता अब हर फिल्म को उसके बॉक्स ऑफिस के पैमाने पर आंकती है। उन्हें लगता है कि अब किसी फिल्म का हिट या फ्लॉप होना फिल्म के कलैक्शन पर ही निर्भर करता है। अगर यह सच होता तो फिल्में नहीं बनतीं। अगर ऐसा होता तो मैं इस उद्योग में मौजूद नहीं होता। मैं 20 साल से फिल्में बना रहा हूं और अब भी फिल्में बन रही हैं। मेरी फिल्में देव डी, मनमर्जियां, गुलाल, ब्लैक फ्राइडे, उड़ान अभी भी पैसा कमा रही हैं। ओटीटी पर अक्सर यह फिल्में टॉप पर होती हैं।
पहले हम जियो और जीने दो में विश्वास करते थे। हमारे यहां सिर्फ हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई को दूर रखा गया। हमारे देश में हिंदुओं की अलग-अलग प्रथाएं हैं। हमारे यहां जाति व्यवस्था है, उसके भीतर भी लिंग व्यवस्था है.. अगर आप लिंग का परिचय दें तो समान लिंग के लोग भी एक दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं। पूर्वाग्रह हमेशा हमारे साथ रहा है। पहले रंग को लेकर मतभेद थे… खाने को लेकर भी हमारे बीच मतभेद हैं। सोशल मीडिया ने सबको आवाज दी है। यही वजह है कि मैं सोशल मीडिया से दूर रहा हूं। जैसे-जैसे मैं खबरों से दूर रहने लगा, दुनिया बेहतर दिखने लगी।